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Tuesday, February 15, 2022

Northern Plain : Bhabar, Terai, Bangra, Khadar In Hindi

 भाबर, तराई, बांगर, खादर (Bhabar, Terai, Bangra, Khadar)

भौतिक आकृतियों की भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान का विभाजन : भौतिक आकृतियों की भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है -

भाबर : यह क्षेत्र शिवालिक के गिरीपद प्रदेश में सिंधु नदी से लेकर तीस्ता नदी तक फैला हुआ क्षेत्र "भाबर" कहलाता है । यह भू-भाग हिमालय नदियों द्वारा लाए गए पत्थर, कंकड़, बजरी आदि के जमाव से बना है जिसके कारण इसमें छोटी नदियां अदृश्य हो जाती हैं । यह क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होता है ।


तराई : यह क्षेत्र भाबर प्रदेश के दक्षिण का "दलदली" क्षेत्र है तथा बारीक कंकड़, पत्थर, रेत तथा चिकनी मिट्टी से बना है । भाबर क्षेत्र में जो नदिया अदृश्य हो जाती हैं वे तराई क्षेत्र के धरातल में पुन: दृश्य मान हो जाती हैं । वर्षा की अधिकता के कारण तराई का विस्तार पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में अधिक पाया जाता है । यह क्षेत्र कृषि के लिए विशेषकर गन्ना, चावल, गेहूं के लिए उपयुक्त हैं ।


बांगर : यह उत्तरी मैदान का उच्च भूमि है जो "पुरानी जलोढ" मिट्टी से निर्मित है । इसका विस्तार मुख्य रूप से पंजाब व उत्तर प्रदेश के मैदानी भागों में पाया जाता है । इसमें कंकर, पत्थर भी पाए जाते हैं शुष्क क्षेत्रों में इसमें लवणीय एवं क्षारीय उत्फुल्लन देखे जाते हैं जिन्हें "रेह" अथवा "कल्लर" कहा जाता है ।

बांगर मिट्टी को दोमट, मटियार, बलुई दोमट आदि नामों से पुकारा जाता है यह मिट्टी ऊंचे मैदानी भागों में पाई जाती हैं जहां नदियों के बाहर का जल नहीं पहुंच पाता है इसलिए इस की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती हैं इन्हें खाद्य, नाइट्रोजन व फास्फोरस की कमी होने के कारण, इन्हे खाद्य, नाइट्रोजन व फास्फोरस देने की आवश्यकता होती है । यह क्षारीय मिट्टी होती हैं । इनमें सोडियम पोटेशियम, कैल्शियम के कारण सफेद परत दिखाई देती हैं जिसके कारण से रेह युक्त क्षारीय ऊसर भूमि बनती हैं ।


खादर : यह उत्तरी भारत के मैदानों की निचली भूमि है जो "नवीन जलोढ़" मिट्टी द्वारा निर्मित है । इसमें "कॉप मिट्टी" भी पाई जाती हैं । खादर क्षेत्र नदियों के निचले हिस्से में स्थित होती हैं जिस पर बाढ़ के समय जलोढ़ की नई परत जम जाती हैं । यह क्षेत्र कृषि कार्य हेतु बहुत उपजाऊ होता है साथ ही साथ हैं इसका भूमिगत जल स्तर ऊंचा होता है । यह क्षेत्र मिट्टी चावल जूट गेहूं आदि की कृषि हेतु प्रसिद्ध है ।

खादर मिट्टी या बाढ़ के समय लाई गई मिट्टी होती हैं इसलिए इसे नूतन कार, बलुआ, स्लेट बलुआ आदि नामों से जाना जाता है । इनमें चुना, पोटाश, मैग्नीशियम आदि जीवाश्मों की अधिकता होती हैं इसमें अधिक उर्वरता शक्ति होती हैं इसलिए खाद देने की आवश्यकता नहीं होती हैं ।

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