प्रायद्वीपीय पठार
प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार -
गोंडवाना लैंड के टूटने से बना था यह प्राचीनतम भू-भाग "पैंजिया" का एक हिस्सा है | भारत का प्रायद्वीपीय पठार एक अनियमित त्रिभुजाकार आकृति वाला भूखंड जिसका विस्तार पश्चिम में "गिरनार पहाड़ियां", पूर्व में "राजमहल की पहाड़ियों", दक्षिण में "इलायची(कार्डमम) की पहाड़ियों", उत्तर पश्चिम में "अरावली पर्वतमाला" और उत्तर पूर्व में "शिलांग पठार" तक है ।
सामान्यत: प्रायद्वीपीय पठार की ऊंचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती चली जाती हैं जिसके कारण प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश नदियां का बहाव पश्चिम से पूर्व की ओर होता है । प्रायद्वीपीय नदियों में "नर्मदा" एवं "ताप्ती" नदियां अपवाद है इनकी बहने की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर होती हैं | प्रायद्वीपीय पठार को "पठारों का पठार" कहते हैं क्योंकि यह अनेक पठारों से मिलकर बना होता है -
केंद्रीय उच्च भूमि - केंद्रीय उच्च भूमि के अंतर्गत निम्न के क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है -
- अरावली पर्वत श्रेणी (Aravalli Mountain Range)
- मेवाड का पठार (Plateau of Mewar)
- मालवा का पठार (Malwa Plateau)
- बुंदेलखंड का पठार (Bundelkhand Plateau)
- विंध्य श्रेणी (Vindhya Range)
- सतपुड़ा श्रेणी (Satpura Range)
केंद्रीय उच्च भूमि के अंतर्गत निम्न के क्षेत्रों को विस्तार पूर्वक पढ़ेगें -
अरावली पर्वत श्रेणी : अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार गुजरात के "पालनपुर" से दिल्ली के "रायसिना हिल्स" तक लगभग 800 किलोमीटर तक विस्तार है ।
- यह प्राचीनतम मोड़दार अवशिष्ट पर्वत का उदाहरण है अरावली पर्वत से "लूनी नदी" निकलने वाली राजस्थान की महत्वपूर्ण नदी है जो राजस्थान के बागंर क्षेत्र से और थार के मरुस्थल से होते हुए गुजरात के कच्छ के रण में विलीन हो जाती हैं ।
- अरावली पर्वत से निकलने वाली "सुकरी" और "जवाई" नदियां लूनी नदी की सहायक नदियां हैं ।
- अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर गुरु शिखर हैं जो माउंट आबू पहाड़ी पर स्थित है माउंट आबू में जैनियों का प्रसिद्ध धर्म स्थल "दिलवाड़ा जैन मंदिर" स्थित है अन्य शिखर कुंभलगढ़ है ।
- अरावली पर्वत जलवायु विभाजक के रूप में भी कार्य करता है ।
मेवाड़ का पठार : मेवाड़ का पठार का विस्तार मध्यप्रदेश व राजस्थान तक हुआ है मेवाड़ का पठार अरावली पर्वत को मालवा के पठार से अलग करती हैं अरावली पर्वत से निकलने वाली बनास नदी के अपवाह क्षेत्र में मेवाड़ का पठार स्थित है ।
- बनास नदी चंबल की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है ।
- यहां पर खनिजो का खनन किया जाता है जैसे - कॉपर, सिल्वर, अभ्रक, लौह अयस्क
- यहां पर खेतडी नामक स्थान है जो कॉपर (ताँबा) के खनन के लिए प्रसिद्ध है।
मालवा का पठार : मध्यप्रदेश में "बेसाल्ट चट्टान (Basaltic Rock)" से निर्मित संरचना को मालवा का पठार कहते हैं मालवा का पठार में बेसाल्ट चट्टान में अपक्षरण के कारण काली मिट्टी का विकास हुआ है इसलिए मालवा पठार का क्षेत्र कपास की खेती के लिए उपयुक्त है ।
- चंबल, नर्मदा वा ताप्ती यहां की प्रमुख नदियां हैं चंबल नदी से प्रभावित क्षेत्र में Soil Erosion के भाग को "बीहड़" भूमि कहलाता है ।
- चंबल नदी "घडियाल" के लिए प्रसिद्ध हैं।
बुंदेलखंड का पठार : बुंदेलखंड का पठार का विस्तार मालवा का पठार और बघेलखंड के पठार के बीच मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश राज्य में है इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश के 7 जिले और मध्य प्रदेश के 8 जिले आते हैं ।
- यहां की ग्रेनाइट वन नीस चट्टानी संरचना में अपक्षय अथवा अपरदन की क्रिया होने के कारण लाल मृदा का विकास हुआ है ।
- बुंदेलखंड का पठार का क्षेत्र बेतवा नदी बेसिन के क्षेत्र के अतंर्गत आता है ।
बघेलखंड का पठार : यह बुंदेलखंड का पूर्व में स्थित हैं ।
विंध्यन श्रेणी : इसका विस्तार गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ तक है | इसे गुजरात में "जोबट हिल" और बिहार में "कैमूर हिल" कहते हैं
- विंध्य श्रेणी के दक्षिण में नर्मदा नदी घाटी हैं जो विंध्य पर्वत को सतपुड़ा पर्वत से अलग करती हैं यह श्रेणी भवन निर्माण के पदार्थों के भंडारण की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है |
सतपुड़ा श्रेणी : यह भारत के मध्य भाग में स्थित हैं जिसका विस्तार गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं छोटा नागपुर पठार तक है । यह पश्चिम से पूर्व "राजपिपला की पहाड़ी", "महादेव पहाड़ी" एवं "मैकल श्रेणी" के रूप में फैली हुई है इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ है जो महादेव पर्वत पर स्थित है ।
👉मैकाल श्रेणी की सर्वोच्च चोटी अमरकंटक है । अमरकंटक से "नर्मदा नदी" व "सोन नदी" का उद्गम हुआ है |
प्रायद्वीपीय पठार का मानचित्र
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