दक्कन का पठार
दक्कन का पठार का विस्तार तापी नदी के दक्षिण में त्रिभुजाकार रूप में है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाता हैं-दक्कन ट्रैप (Deccan Trap)
कर्नाटक का पठार (Karnataka Plateau)
आंध्र का पठार (Andhra plateau)
दक्कन का पठार –
- इसका विस्तार सर्वाधिक महाराष्ट्र के क्षेत्र में बेसाल्ट चट्टान से निर्मित स्थान हैं जिससे यहाँ काली मिट्टी का विकास हुआ है।
- इसी पठारी क्षेत्र में गोदावरी नदी प्रवाहित होती है।
- सतमाला, अजंता, बालाघाट, और हरिशचंद्र आदी पहाडियों का विस्तार इसी क्षेत्र में है।
कर्नाटक का पठार –
- कर्नाटक के पठारी क्षेत्र में पश्चिमी घाट से संलग्न पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्र को "मलनाड" कहते है। यहाँ का सबसे ऊचां पर्वतीय क्षेत्र बाबा बुदन है, जिसकी सबसे ऊची चोटी "मुल्लयानगिरी" है।
- बाबा बुदन का पर्वतीय क्षेत्र "लौह अयस्क" भंडार के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थान है।
- कृष्णा, कावेरी, तुंगभद्रा शरावती व भीमा यहाँ की प्रसिद्ध प्रमुख नदियाँ हैं।
- शरावती नदी पर "जोग या गरसोप्पा" जलप्रपात स्थित है। इसे महात्मा गांधी के रूप से भी जाना जाता है।
- कुंचीकल जलप्रपात भारत का सबसे ऊचाँ जलप्रपात है, जो कि कर्नाटक के शिमोगा जिले में "वाराही नदी" पर स्थित है।
आंध्र का पठार –
- इस पठार के अंतर्गत रायलसीमा का पठार तथा तेलंगाना के पठार को शामिल किया जाता है।
- कृष्णा नदी बेसिन के उत्तर में स्थित पठारी क्षेत्र को तेलंगाना का पठार कहते है। तथा कृष्णा नदी बेसिन के दक्षिण का पठारी क्षेत्र को रायलसीमा का पठार कहते है जहाँ वेलीकोंडा, पालकोंडा और नल्लामलाई पर्वतों का विस्तार है।
- कृष्णा नदी और गोदावरी नदी बेसिन के मध्य में "कोल्लेरू झील" स्थित है, जो एशिया की सबसे बड़ी दलदली भूमी है।