तटीय मैदान (Coastal Plain)
भारत के तटीय मैदान का विस्तार प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट के मध्य हुआ है । तटीय मैदान का निर्माण सागरी तरंगों द्वारा अपरदन व निक्षेपण तथा पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसाद के जमाव से हुआ है ।
भारत के तटीय मैदान को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है -
- पूर्वी तटीय मैदान (East Coast Plain)
- पश्चिमी तटीय मैदान (West Coast Plain)
पूर्वी तटीय मैदान (East Coast Plain) : बंगाल की खाड़ी तथा पूर्वी घाट के तट के बीच निर्मित मैदान को पूर्वी तटीय मैदान कहते हैं । इसका विस्तार स्वर्णरेखा (रांची के पठार से निकलती) नदी से लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक है।
पूर्वी तटीय मैदान या घाट को तीन भागों में बांटा जा सकता है : पूर्वी तटीय मैदान को समझने के लिए इसको नदियों के आधार पर बांटा गया है -
- उत्कल तट : स्वर्णरेखा नदी से महानदी के बीच स्थित है ।
- उत्तरी सरकार तट : महानदी से कृष्णा नदी के बीच स्थित है ।
- कोरोमंडल तट : कृष्णा नदी से कन्याकुमारी के बीच स्थित है ।
👉पूर्वी तटीय मैदान में गोदावरी व कृष्णा नदियों के डेल्टा में कोलेरू झील स्थित है ।
👉पूर्वी तटीय मैदान पर उत्तर से दक्षिण स्थित प्रमुख डेल्टा जो निम्नलिखित इस प्रकार हैं
- महा नदी डेल्टा : उड़ीसा
- गोदावरी डेल्टा : आंध्र प्रदेश
- कृष्णा डेल्टा : आंध्र प्रदेश
- कावेरी डेल्टा : तमिल नाडु
पश्चिमी तटीय मैदान (West Coast Plain) : अरब सागर का तट तथा पश्चिमी घाट के बीच निर्मित मैदान को पश्चिमी तटीय मैदान कहते हैं । इसका विस्तार गुजरात के सूरत से तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक हैं ।
पश्चिमी तटीय मैदान को 4 वर्गों में बांटा जा सकता है -
- गुजरात का मैदान या घाट - गुजरात का तटवर्ती क्षेत्र (इसे कच्छ और काठियावाड़ या सौराष्ट्र का तटीय मैदान भी कहते हैं)
- कोंकण का मैदान या घाट - दमन व महाराष्ट्र से गोवा के बीच स्थित है ।
- कन्नड़ का मैदान : गोवा से मंगलूरू के बीच स्थित है ।
- मालाबार तट : मंगलुरू एवं कन्याकुमारी के बीच स्थित हैं ।
👉कोंकण के तटीय मैदान पर साल, सागवान आदि वनो की अधिकता होती हैं ।
👉मालाबार के तटीय मैदान में कयाल (लैगून) पाए जाते हैं जिनका प्रयोग मछली पकड़ने, अंतर्देशीय जल परिवहन के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में किया जाता है ।
👉केरल के पुन्नामदा कयाल में प्रतिवर्ष नेहरू ट्रॉफी वल्लमकाली (नौका दौड़) प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
पश्चिमी घाट - इसका विस्तार तापी नदी के मुहाने से लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक लगभग 1600km. में हैं। पश्चिमी घाट को सह्याद्रि के नाम से भी जाना जाता हैं। यूनेस्को ने 2012 में इस क्षेत्र को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।
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